TCLP लाइब्रेरियों में किताबों को कैटलॉग करते समय हमारे सामने अक्सर सवाल उठ खड़े होते हैं। जैसे, क्या किसी किताब को 'पिक्चर बुक्स'/ ‘चित्र पुस्तक’ सेक्शन में जाना चाहिए, या 'फिक्शन ईज़ी', यानी 'आसान कहानियों', वाले सेक्शन में जाना चाहिए।या, अगर कोई पाठक किसी ख़ास लेखक की किताबों की तलाश में होता है, या अपनी रूचि के विषय पर किताब खोजता है, तो उसे वह किताब आसानी से कैसे मिल सकती है? क्या पुस्तकों को पाठकों के उम्र के हिसाब से अलग-अलग सेक्शनों में रखना चाहिए? ऐसे में तब क्या होगा, जब एक ही उम्र के बच्चे अलग-अलग स्तरों की किताब पढ़ते हों — कुछ थोड़ी सरल और कुछ थोड़ी कठिन?
हमने लिंडा होयसेट से, जो नई दिल्ली स्थित द अमेरिकन एम्बेसी स्कूल में शिक्षक-लाइब्रेरियन हैं, हमारे इसी तरह के कुछ सवालों के जवाब मांगे। उनके साथ हुए प्रश्नोत्तर के कुछ अंश—
किसी पिक्चर-बुक (चित्र-पुस्तक) और एक साधारण पुस्तक में फर्क क्या है? यानि, पिक्चर-बुक कहते किसको हैं?
पिक्चर-बुक एक ऐसी किताब होती है जिसमे किसी कहानी बताने में शब्दों से ज्यादा चित्र महत्त्वपूर्ण होते हैं। (यह एक सचित्र पुस्तक से अलग हैं, जो चित्रों के बिना भी कहानी कह सकता है, लेकिन अगर उसमें चित्र हों तो वे कहानी में अनुभव जोड़ते हैं।) ज्यादातर, किसी पिक्चर-बुक में लगभग ३२-पृष्ठ होते हैं। कई बार, पिक्चर-बुक्स पढ़ने में थोड़े मुश्किल भी हो सकतें हैं, क्योंकि इन्हें अक्सर बच्चे खुद नहीं पढ़ते बल्कि उन्हें ऐसी किताबें बड़े लोग पढ़कर सुनाते हैं, और कई बार वे सरल भी होते हैं क्योंकि वे खुद बच्चों या उभरते पाठकों के पढ़ने के लिए होते हैं।
क्या पिक्चर-बुक्स को फिक्शन और नॉन-फिक्शन में बाँटना चाहिए?
ऐसा करना ज़रूरी नहीं है। मुझे लगता है कि TCLP की लाइब्रेरीयों में सभी पिक्चर-बुक्स को एक साथ ही रखना चाहिए। अमेरिकन एम्बेसी स्कूल में हम नॉन-फिक्शन पिक्चर-बुक्स (चित्र-पुस्तकों) को बाकी नॉन-फिक्शन किताबों के साथ ही रखतें हैं। यहां तक की, हमारे मिडिल और हाई स्कूल लाइब्रेरी में तो कुछ नॉन-फिक्शन पिक्चर-बुक्स किशोर (यंग एडल्ट) और वयस्क नॉन-फिक्शन किताबों के साथ ही रखी गयीं हैं। हमारी सोच यह है कि हमारे मेंबर्स अक्सर स्कूल प्रोजेक्ट के लिए रिसर्च पुस्तकों की तलाश में रहते हैं और हम चाहते हैं कि जानकारी के लिए उन्हें हर तरह की किताब आराम से एक ही जगह में मिल जाए।
TCLP लाइब्रेरी में ज़्यादातर मेंबर्स किताब रिसर्च के लिए नहीं बल्कि कुछ दिलचस्प पढ़ने के लिए लेते हैं। उन्हें कभी कोई गाड़ियों के बारे में नॉन-फिक्शन पिक्चर-बुक भा सकती है, तो कभी कोई परियों की कहानी वाली पिक्चर-बुक भा सकती है। अगर आपको ये लग रहा हो की ऐसे में TCLP के पाठकों को कहानी (फ़िक्शन) और नॉन-फिक्शन में क्या अंतर होता है ये समझ ही नहीं आएगा, तो आप चाहें तो किताबों में ‘फिक्शन’ और ‘नॉन-फिक्शन’ स्टिकर लगा सकते हैं। लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह आवश्यक है। ज़रा सोचिये, जब आपके अपने बच्चे छोटे थे और किताब पढ़ते थे तो क्या यह महत्वपूर्ण था कि वे कल्पना (फिक्शन) या नॉन-फिक्शन में फर्क महसूस कर सकें? मुझे नहीं लगता कि उस समय यह फर्क मायने रखता था। मेरा मानना है कि समय से वे खुद ही समझ जाते हैं कि कहानी क्या है और वास्तविक क्या है।
एक पिक्चर-बुक(चित्र-पुस्तक) और एक इजी-फिक्शन बुक (सहज कथा पुस्तक) में क्या फर्क है? आखिर सहज कथा में भी चित्र होते हैं?
हमारी TCLP लाइब्रेरी में यह माना जाता है की सहज कथा पुस्तकें उन बच्चों के लिए हैं जो खुद से पढ़ने की शुरुआत कर रहे हों। ये ऐसी किताबें हैं जिनके सहारे बच्चे पढ़ना सीख सकते हैं। सहज कथा पुस्तकों में चित्र-पुस्तकों की तुलना में अधिक टेक्स्ट यानि लिखित अंश होता है, और कम चित्र होते हैं। सहज कथा पुस्तकों में अक्षरों का फॉन्ट भी कभी-कभी बड़ा होता है। लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता है कि पिक्चर-बुक्स में सहज कथा पुस्तक के मुकाबले ज्यादा टेक्स्ट, यानि लिखित अंश, होता है। और, कई बार पिक्चर-बुक जटिल और बच्चे की उम्र से ऊपर के स्तर की होती हैं क्योंकि प्रकाशकों को मालूम रहता है की बच्चों को ये किताबें उनके माता-पिता या शिक्षक ही पढ़कर सुनाएंगे। लेकिन हमारे युवा मेंबर्स को कई बार उनके माता-पिता या शिक्षक किताब पढ़कर नहीं सुना पाते हैं।हमारा लक्ष्य ये है कि कोई पाठक जिस तरह की किताब खोज रहा हो वह उसे मिल जाए। कोई किताब पिक्चर-बुक (चित्र पुस्तक) है या इजी-फिक्शन बुक (सहज कथा पुस्तक) है, इससे पाठक को कोई फर्क नहीं पड़ता है। इसलिए दोनों ही प्रकार की कताबें एक साथ रखी जा सकती हैं। हमें देखना ये है की उस किताब का रीडिंग लेवल यानि उसकी लेखन का स्तर क्या है। अगर कोई पिक्चर-बुक (चित्र पुस्तक) थोड़ी जटिल है यानि उच्च रीडिंग लेवल की है तो उसको उसी स्तर के पाठकों के लिए रखनी चाहिए। ऐसी किताब को सरल पिक्चर-बुक (चित्र पुस्तकों) के साथ रखने में कोई फायदा नहीं है।
क्या हमें पाठकों के उम्र के हिसाब से पुस्तकों को रखना चाहिए? क्या वयस्क, किशोर, और बच्चों के लिए अलग संग्रह होने चाहिए? और, जब एक ही उम्र के बच्चे अलग-अलग स्तर पर पढ़ते हैं, तो आप उम्र के हिसाब से किताबों का समूह कैसे बना सकते हैं?
आप अपनी किताबें उसी प्रकार से रखें जो आपकी नज़र में आपके मेंबर्स के लिए सबसे उपयोगी तरीका हो। यदि आपके पास बहुत बड़ा संग्रह है, तो आपके अलग-अलग पाठक क्या पढ़ना चाहते हैं उस हिसाब से किताबों को रख सकते हैं। दूसरी ओर, यदि आपके लाइब्रेरी में ज्यादा वयस्क मेंबर्स हैं और उनकी रीडिंग लेवल यानि पढ़ने की क्षमता भी अलग-अलग स्तर की है, तो शायद वे अपने लायक किताब ढूंढ़ने बच्चों के सेक्शन में जाना पसंद नहीं करेंगे। वे पुस्तकों को किसी और तरीके से व्यवस्थित देखना पसंद करेंगे। आप विभिन्न प्रकार और पाठन स्तर वाली किताबों को एक साथ भी रख सकतें हैं और उनके बीच का अंतर स्टिकर या लेबल द्वारा भी स्पष्ट कर सकते हैं। याद रखें, आपका लक्ष्य यह है कि आप मेंबर्स को वह किताब खोजने में मदद करें जो वे पढ़ना चाहते हैं।
आपको अपने किताबों के संग्रह को पाठकों के आयु के अनुसार विभाजित करने की आवश्यकता नहीं है। मगर, यदि आप तय करते हैं की किताबों को मेंबर्स की आयु के अनुसार ही विभाजित करना हैं, तो एक बड़ा आयु बैंड, यानि रेंज, चुनें जिसमें अलग-अलग प्रकार के पाठकों को उनके मन की किताब मिल जाए।
बड़ों के लिए लिखी गयी किताबें किन्हे पढ़ना चाहिए और बच्चों की किताबें कौन पढ़ सकता हैं?
बच्चों की किताबें सभी आयु के पाठकों के लिए उपयुक्त होती हैं। वयस्क पुस्तकें उन मेंबर्स के लिए उपयुक्त होती हैं जो खुद तय कर लेते हैं कि वे अब ऐसी पुस्तकें पढ़ने के लिए तैयार हैं। कोई पाठक क्या पढ़ना चाहता है, उसकी जिम्मेदारी उसे खुद ही लेनी होती है। मैं अपने छात्रों को सिखाती हूँ कि यदि वे कोई किताब शुरू करते हैं और उसमे कुछ ऐसा पाते हैं जो उनके लिए उचित नहीं है, तो उन्हें पुस्तक को वहीं बंद कर देना चाहिए।
हम कविता की ऐसी एंथोलॉजी या संकलन को कैसे कैटेलॉग करें, जिसमें संपादक का नाम ही नहीं है, केवल किताब की टाइटल / शीर्षक है, और चित्रकार व पुस्तक के प्रकाशक का नाम है? यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि स्टिकर पर कौन सा नाम डाले — चित्रकार या प्रकाशक का, या दोनों का नाम। (हम भाषा, शैली, और लेखक के अंतिम नाम के तीन अक्षरों को पुस्तक की स्पाइन, यानि रीढ़, पर एक लेबल पर लिख देते हैं।)
ऐसी कविता संकलन जिसका कोई एकल लेखक न हो, उसको मैं आमतौर पर संपादक के नाम के अनुसार कैटलॉग, यानि सूचीबद्ध, करती हूँ। अगर किसी कारण ऐसा करना भी संभव नहीं है, तो मैं किताब की टाइटल, यानि शीर्षक, के पहले तीन अक्षरों का उपयोग करती हूँ।
एक सवाल -- 'द किडनैपिंग ऑफ आमिर हमज़ा' (‘आमिर हमज़ा का अपहरण’) नाम की किताब में क्या मूल लेखक को लेखक माना जाएगा या फिर उस लेखक को, जिसने यह कहानी दोहराई है?
रिटेलिंग — यानि कोई पुरानी कथा जिसको एक नए लेखक ने नए रूप में फिर से लिखा हो — को मैं आमतौर पर उसके वर्तमान लेखक के नाम द्वारा ही कैटलॉग या सूचीबद्ध करती हूँ। लेकिन, अगर पाठक ये सोचते हों की ये किताब इस कथा के मूल, यानि पुराने, लेखक की लिखी हुई अन्य किताबों के साथ ही रखी गयी होगी, तब मैं इस किताब को मूल लेखक की अन्य किताबों के साथ ही रखुंगी न की नए लेखक की किताबों के साथ।
ग्राफिक किताबों को कैसे कैटलॉग करना चाहिए? क्या सभी ग्राफिक किताबों को पहले से ही काल्पनिक मान लेना चाहिए? उदाहरनतः आर्ट श्पीगलमान की 'माउस' (जो हमारी लाइब्रेरी में है), एक काल्पनिक कथा है क्योंकि इसके मुख्य पात्र चूहे हैं। मगर चूँकि ये किताब द्वितीय विश्व युद्धकी कहानी बताती है, तो क्या ये एक नॉन-फिक्शन यानि गैर-काल्पनिक किताब है? यदि कोई कॉमिक बुक एक वास्तविक व्यक्ति की जीवनी है तो मेरे हिसाब से वह नॉन-फिक्शन यानि गैर-काल्पनिक किताब होगी (खासकर अगर व्यक्ति को चूहे के रूप में चित्रित नहीं किया गया हो)। लेकिन अगर कोई किताब जटिल न हो और बच्चों के लिए बहुत ही सरलता से एक वास्तविक घटना पेश करती हो, तो क्या हम इसे कल्पना का काम समझें? यदि एक ग्राफिक पुस्तक इतिहास की किसी वास्तविक अवधि को दर्शाती है, जैसे की लेखक जो सेक्को की किताबें, या विश्वज्योति घोष की किताब 'दिल्ली कॉम', तो क्या यह गैर-कल्पना यानि फिक्शन मानी जाएगी, भले ही यह काल्पनिक पात्रों से भरी हो?
जो ग्राफ़िक किताबें वास्तविक कहानियों पर आधारित होती हैं, उन्हें फिक्शन या नॉन-फिक्शन शेल्फ में रखा जाना चाहिए, इस मामले में मेरी सोच अबतक पक्की नहीं हुई है। मैंने 'माउस' को नॉन-फ़िक्शन सेक्शन में रखा, इस उम्मीद से कि मेरे जो छात्र द्वितीय विश्व युद्ध के बारे में पढ़ रहे हैं, उन्हें ये किताब मिल जायेगी। लेकिन TCLP में आप इस किताब को कल्पना यानि फिक्शन में छोड़ सकते हैं, क्योंकि आपके मेंबर्स शायद द्वितीय विश्व युद्ध से सम्बंधित पुस्तकों की तलाश में न हों। मैंने जीवनी सेक्शन, यानि अनुभाग, में ग्राफिक जीवनियां डाल दी क्योंकि मेरे पास ऐसे छात्र हैं जिन्हें जीवनी पढ़ने के लिए कहा जाता है, और मैं चाहती हूँ कि अगर वे चाहें तो पढ़ने के लिए ग्राफिक जीवनियां भी चुन सकें।
लेकिन अगर आपके पाठकों को ऐसी किताबें शायद ग्राफिक-फिक्शन विभाग में ही दिखेंगी, तो बेहतर है की उन्हें वहीं रखें। अगर कोई कहानी किसी ऐतिहासिक काल में दर्शायी गयी हो लेकिन वास्तविक या सत्य कथा न हो, तो मैं इसे काल्पनिक यानि फिक्शन विभाग में रखती हूँ।
ग्राफ़िक पुस्तकों को कहाँ रखा जाए -- ये वाकई एक दुविधा, अपितु एक दिलचस्प दुविधा, है। इसका कोई सही या गलत उत्तर नहीं है। कभी-कभी जब मैं पूरी तरह से दुविधा में उलझ जाती हूँ कि किसी पुस्तक को किस विभाग में रखूं, तो मैं कुछ छात्रों को पकड़ती हूँ और किताब का विवरण दे के उनसे पूछती हूँ - "इस पुस्तक से किसको फायदा होगा -- जो लोग द्वितीय विश्व युद्ध के बारे में पढ़ रहे हैं, या जो लोग ग्राफ़िक उपन्यास पढ़ना पसंद करते हैं, या फिर वो लोग जो जीवनी पढ़ना चाहते हैं?” आप लोग TCLP में एक पूरी नयी लाइब्रेरी को कैटेलॉग करने का प्रयास कर रहे हैं, इसलिए आपके पास समय कम होगा, लेकिन अपनी टीम को कुछ किताबें दिखा के अगर आप उनसे ऐसे ही सवाल पूछते हैं, तो किस विभाग में क्या रखना चाहिए, आपको इसका एक अच्छा अंदाज़ मिल जायेगा।
कोहा सॉफ्टवेयर के तहत हम किसी चित्र-पुस्तक (पिक्चर-बुक) को इन तीन वर्गों में से किसी एक में डाल सकते हैं— गैर-कल्पना (नॉन-फिक्शन) (0), कथा (फिक्शन) (1), या कविता (पी)। फिलहाल हमने सारे पिक्चर-बुक्स को 'कथा' विभाग में रखा हैं, हालांकि ऐसा करना हमें कुछ जम नहीं रहा था। मगर इस वक़्त हम इस दुविधा में नहीं पड़ना चाहते थे कि कोई चित्र-पुस्तक फिक्शन है या नॉन-फिक्शन। हमने यह भी तय किया कि कविता वाली चित्र-पुस्तक को भी कैटेलॉग में फिक्शन का ही कोड दिया जाए। लेकिन जैसा कि आपने अभी सुझाव दिया है, हम लाइब्रेरी में जहाँ भी चाहें वहां पिक्चर-बुक्स रख सकते हैं, और कविता वाली पिक्चर-बुक्स को कविता विभाग में भी रखा जा सकता है।क्या 'डॉ. स्युस' (Dr. Seuss) कविता है? क्या 'ग्रीन एग्स और हैम' (Green Eggs and Ham) जैसी कोई किताब पिक्चर-बुक है?
बात ये है कि कई किताबें कई अलग-अलग श्रेणियों (कविता या चित्र-पुस्तक या कल्पना) में रखी जा सकती हैं, इसलिए आपको यह तय करना होगा कि आपकी लाइब्रेरी के लिए अहम् क्या है। जब मेंबर्स पुस्तकों का चयन कर रहे हों, तो क्या प्रारूप, यानि फॉर्मेट, सबसे महत्वपूर्ण है, या किताब का कंटेंट, यानि उसमे लिखा क्या है, या पाठक के पढ़ने की क्षमता और उसकी आयु? अगर आप लाइब्रेरी के अलग-अलग हिस्सों में किताबों को अलग-अलग तरीके से खण्डों में बांटना व रखना चाहें, तो वह भी ठीक है। फॉर्मेट या प्रारूप के बारे में चिंता करने की ज़रुरत नहीं है। हाँ, अगर लगता है कि पुस्तकों को चित्र-पुस्तक खंड में रखने से ज़्यादा लोग उनको पढ़ेंगे तो बेशक ऐसा ही कीजिये।
डॉ. स्युस (Dr. Seuss) शीर्षक वाली पुस्तकें कविता, चित्र-पुस्तक, और शुरुआती पाठक -- इन तीनो श्रेणियों में फिट बैठती हैं। यदि आपके पास तीनों श्रेणियों के लिए अलग-अलग खंड हैं तो सवाल यह है कि आपके मेंबर्स इन किताबों को ज्यादातर कहाँ खोजेंगे? जिन पुस्तकालयों में मैंने काम किया है, वहां ये किताबें ('डॉ. स्युस' पुस्तकें) या तो चित्र पुस्तक खंड में, या विशेष-लेखक खंड में रखी जाती हैं। विशेष-लेखक खंड में इसलिए, क्योंकि डॉ. स्युस ने कई लोकप्रिय किताबें लिखी हैं।
एक आखरी बात -- "लाइब्रेरी में किताबों को कैसे कैटलॉग करना है व लाइब्रेरी के अंदर की जगह को किस तरह से प्लान यानि आयोजित करना है, इसका एक ही मकसद होना चाहिए -- पाठकों को उनके मन की किताब आराम से मिल जाए। इसके लिए कोई भी पक्के नियम नहीं हैं। आपको केवल वही 'करना' है जिससे आपके पाठक अपने मन की किताबें आराम से खोज पाएं। किसी भी कार्य को लगन से करने में गल्तियां हो सकती हैं, गल्तियों की चिंता न करें।”-- लिंडा होइसेट, अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक, शिक्षक-लाइब्रेरियन, द अमेरिकन एम्बेसी स्कूल, नई दिल्ली।
लिंडा होयसेट के इंटरव्यूका अनुवाद किया है रंजना दवे ने और हिमांशु भगत ने इसका संपादन किया है।
In the series of conversations with Linda Hoiseth:
Privilege and Libraries
विशेषाधिकार और लाइब्रेरी
Q& A with Linda Hoiseth (Part 1)
Q & A with Linda Hoiseth (Part 2)
लिंडा होइसेट के साथ सवाल जवाब (भाग २)
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